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रक्षक (भाग : 07)

रक्षक भाग : 07


रेकैप-   अब तक आप सभी ने पढ़ा कि रक्षक के घायल होने और युद्ध समाप्ति की घोषणा होने  के बाद undead  दहाड़ता हुआ वापस लौट गया , और रक्षक ने उसके जाने के बाद कुछ ही देर में उसके ही हथियार को खुद में समाहित कर लिया ,
ततपश्चात  4J,  रक्षक आदि को undead के बारे में बताना शुरू करते ……..अब आगे।


‘Undead कथा’

संपादक - सूरज शुक्ल


यूनिक ने युद्धक्षेत्र में ही महल का निर्माण कर दिया था। सभी अंदर प्रवेश करते हैं। जय सबको undead के बारे में बता ही  रहा था जिसकी जानकारी वो काफी दिनों से ढूंढ रहे थे,कि तभी ‘सर्रर्रर....सुऊऊ ’ की आवाज होती है जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है, सामने जो होता है वो देखकर सब हैरान हो जाते हैं।

“ये क्या है?”- जयन्त ने चौकते हुए पूछा।

“शांत रहो जयन्त!” जय बोला “ये यूनिक की खास तकनीकी क्षमताओं में से एक हैं, वो किसी भी घटना को चित्रित रूप में संयोजित करके पेश कर सकता है।”

यूनिक ने दीवार पर प्रोजेक्टर ऑन किया था, जिसपर एक बुरी तरह टूटे हुए ग्रह की तस्वीर थी। जिसके अंदर मैग्मा पिघलने के बाद दो अलग अलग भागो में बट गया था, अगले ही पल वो ग्रह किसी काली परत में खो गया।

“ये क्या है?” - रक्षक न जय से पूछा।

“यह undead का होम प्लेनेट है, जहा उसका जन्म हुआ और उसकी परवरिश हुई”- जय ने बताया।

उसके बाद स्क्रीन पर अपने आप चल चित्र उभरने लगे जिन्हें यूनिक कंट्रोल कर रहा था और सब शांत होकर देखने लगे।

दूर वीरान अंतरिक्ष में
किसी दूसरी आकाशगंगा के सोलर सिस्टम में
आज से हज़ार साल पहले..
एक छोटा सा ग्रह, जिसका नाम “प्रेवलीन” था, खूबसूरती का बेमिसाल नमूना, ऐसा लग रहा था जैसे ये कल्पनाओं की दुनिया हो, कल्पनाओं से भी खूबसूरत जगह..।

पहाड़ियों के बीच एक छोटा सा मैदान, जिसके पास नदी बह रही थी। सामने की पहाड़ी से झरना झर झर करके नीचे गिर रहा था, जो वहां के सूर्य के प्रकाश में छनकर बेहद खूबसूरत और नौरंगी दिख रहा था।
नदिया कल- कल की मधुर आवाज से बह रही थी, जिसमे बहने वाला जल बिल्कुल नीला था। आस पास कई प्रकार के पेड़ पौधे थे, जिसमें कईयो की पत्तियां 2 फिट से बड़ी थी। फूलों की खुशबू मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी। बड़े से बड़े लाल और नीले फूल, छोटे पीले और गुलाबी फूल एक पंक्ति में लगे हुए थे।

पहाड़ियां काफी ऊंची थी। उसी पहाड़ी के नीचे उस मैदान में कुछ घर थे, जो पूरी तरह प्रकृति के साये में बने हुए थे। उनकी बनावट शानदार थी, कुछ में खास नक्काशी की गई थी। वहीं एक घर के सामने एक जोड़ा खड़ा था, जो शायद पति - पत्नी थे, और एक छोटा बच्चा जो सामने की  एक बहुत ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ने की लगातार कोशिश कर रहा था, और अब तक लगभग पर्वत का दसवां भाग भी नही चढ़ पाया था।

यहाँ के लोगो की त्वचा हल्की गुलाबी और नीली होती है, पर यहाँ कभी रंगभेद नही हुआ, क्योंकि यहाँ लोग प्रेम जानते हैं, इन्होंने कभी रंग रूप को महत्व नही दिया, तभी तो नीले  नर और गुलाबी मादे की जोड़ी बनी हुई थी, जिनके तन पर साधारण सा लिबास था, और वो बच्चा भी साधारण दिख रहा था जो असाधारण कार्य करने की कोशिश कर रहा था।

“अनद, तुम्हारा बेटा बहुत शैतान हो गया है, देखो कितनी बड़ी चोटी पर चढ़ा जा रहा है!”- उस स्त्री ने कहा।

“अरे छोड़ो उपमा, मैं भी देख रहा हूँ हमारा अवि कितना जिद्दी और बहादुर है।”- अनद ने उपमा के कंधे पर दोनों हाथ रखकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

“ हाँ! आखिर बेटा किसका है, बाप के गुण तो जाएंगे ही उसमें”- उपमा अनद के गालों को खींचते हुए बोली।

“बोल तो ऐसे रही हो जैसे वो तुम्हारा कुछ लगता ही नही” - अनद ने तंज कसा।

“हुहः तुम और तुम्हारा बेटा, अगर उसे कुछ हुआ तो जान ले लुंगी तुम्हारी।” - उपमा मुँह बनाकर बोली।

“अवि बेटा! अब नीचे आ जाओ, नही तो तुम्हारे बाप पर कहर टूट जाएगा, अपने बाप को बचा ले बेटा!”- अनद जोर से चिल्लाकर अवि को बुलाया।

“हीहीही… आप दोनो तो मुझसे भी छोटे बच्चे लगते हो हाहाहा…..” मासूमियत भरी हँसी हँसते हुए थका हुआ अवि नीचे उतरने लगा।

“थोड़े दिन बाद तुम चले जाओगे, फिर हम यही रह जाएंगे अकेले” - उपमा मायूस होकर बोली।

“अकेली नही रहोगी मेरी जान, मेरा बेटा है तुम्हारे पास, उसका ख्याल रखो अच्छी माँ की तरह।”- अनद उपमा के माथे को चूमता हुआ बोला।

“पर अवि को देखो न, वो आस पास के सभी बच्चों से अलग हो गया है, सब मैदान से बाहर नही जाते और ये पहाड़ झरने नदिये में ही नज़र आता है।”- उपमा ने अपनी बात रखी

“ सबका बाप अनद थोड़े है हाहाहा…”- अनद हँसकर बोला।

“तुम्हे क्या लगता है ऐसे हँस देने से मेरी चिंता खत्म हो जाएगी, मैंने बचपन से देखा है तुम्हे, तुम्हे तो उसमें अक्स दिखता होगा न अपना!” - उपमा बोली

“हाँ! मुझे उसमे हम दोनों का अक्स दिखता है, मैं उतना मासूम नही था जितना वो है” - अनद बोला

“तुम किसी बात को गंभीरता से क्यों नही लेते अनद?”- उपमा सर झुकाकर बोली।

“अरे! क्या तुम भी…”

तब तक अवि आ जाता है, वो पूरी तरह पसीने से भीगा हुआ होता है, उपमा उसके चेहरे को पोंछती है, और फिर सब घर में अंदर चले जाते हैं।

दो दिन बाद…

अवि आज भी पहाड़ी पर चढ़ रहा होता है। उसको पहाड़ के ऊपर चढ़ कर उस पर की दुनिया देखनी है, पर पहाड़ इतना बड़ा है कि वो उसके दसवें भाग तक भी नही चढ़ पाता, परन्तु अवि ने कभी हारना नही सीखा, वह हर रोज सुबह लगातार प्रयास करता था।
और आज भी वही कर रहा था कि तभी उसे अपनी मां की आवाज सुनाई दी।

“अवि बेटा जल्दी आ जाओ तुम्हारे पापा को देर हो रही है।”- अवि की माँ उपमा जोर से चिल्लाकर बोलीं।

“ओह्ह पापा भी न, बस इतने समय के लिए आते हैं पता नही क्या काम होता है उनको, पर बड़ा होकर मैं भी अपने पापा जैसा बनूँगा” अवि अपने मन मे बड़बड़ाया, वो कभी उदास तो कभी खुश हो रहा था।

जल्दी जल्दी नीचे उतरा, झरने के पानी से अपना मुँह हाथ धोया फिर दौड़ते हुए अपने पापा के पास गया और गले मे दोनो तरफ से हाथ डालकर, आपस मे बांधकर प्यार से पूछा “अब कब आओगे पापा!”

“पता नही बेटे, पर मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगा” - अनद उसके माथे को चूमते हुए प्यार से नीचे उतारते हुए बोला।

उसके बाद वहां किसी प्रकार का विशेष यान आता है, जिसमें अनद बैठकर चला जाता है।
अवि और उपमा यान को आसमान में जाते हुए एकटक देखते रहते हैं फिर अचानक से उपमा अवि को अपने सीने से लगा लेती है, और दोनों घर मे चले जाते हैं।

“अरे यार यूनिक ये क्या दिखा रहे हो”- जयन्त फटाक से बोला।

“यही undead का घर है ‘जयन्त’, मैंने कहा था न कि वो हमेशा से बुरा नही था, ये उसका ग्रह है ‘प्रेवलीन’,   टेक्नोलॉजी और प्रकृति का अद्भुत संगम, इसीलिए शायद इस ग्रह पर अंधेरे की नज़र बहुत जल्दी पड़ गयी और…” - कहते कहते जय रुक गया।

“और क्या जय बताओ न, बोलो क्या हुआ, क्या किया अंधेरे के बेटे ने उस ग्रह के साथ..??”- अर्थ व्यग्रता से बोला।

“इन सारे सवालों के जवाब आगे मिलेंगे, यूनिक आगे बताओ..” - जय ने यूनिक से कहा।

“जो हुकुम मेरे आका!”- कहते हुए यूनिक ने आगे दिखाना शुरू किया।

एक अत्याधुनिक फैक्ट्री, या उसे हथियारों की फैक्ट्री कहें तो ज्यादा बेहतर होगा।

हज़ारो किलोमीटर के क्षेत्र में फैली ये जगह कई प्रकार के फैक्टरियों का गढ़ थी। यह संस्था इस ग्रह पर सुरक्षा का कार्य करती थी, यह जगह भी चारो तरफ से भीषण जंगलो से घिरी हुई थी, बड़ी बड़ी इमारते जिन्हें किसी खास तकनीक का प्रयोग करके बनाया गया था । रात मे उजाले के लिए एक छोटे कृत्रिम सूर्य का निर्माण किया गया था। 

थोड़ी देर बाद वहां वही यान उतरा जिसपर अनद सवार था।

“वापसी पर स्वागत है कमांडर इन चीफ मिस्टर अनद!”- अनद के समान वेशभूषा वाले व्यक्ति ने गर्मजोशी से स्वागत करते हुए उससे हाथ मिलाया।

“मिलकर खुशी हुई कैप्टन किशोर!” - अनद मुस्कुराकर बोला।

फिर दोनों एक कार जैसी दिखने वाले यान में बैठे और उस बड़ी सी इमारत के सबसे ऊपरी कमरे में चले गए। उनके सामने एक बूढ़ा व्यक्ति बैठा हुआ था, जो बूढ़ा बिल्कुल भी नही लग रहा था, काफी हट्टा कट्टा और शानदार व्यक्तित्व का मालिक था।
गले मे एक शानदार लॉकेट था जो नीला चमक रहा था।

अनद और कैप्टन किशोर ने प्रवेश किया।  प्रवेश करते ही अपने सिर को झुकाकर, अपने हथेली के ऊपर रख अपने विशेष अंदाज में उन्हें सैल्युट किया।

“आपने हमे बुलाया सर”- अनद ने आते ही पूछा।

“मैंने नही मुसीबत ने बुलाया है चीफ” - उस आदमी ने जवाब दिया।

कहते हुए उसने एक बटन दबाया और सामने की दीवार हटकर एक बड़ी सी स्क्रीन बन गयी, और सामने कुछ अजीब प्राणी नज़र आने लगे। जिनका शरीर 6 फुट बड़ा और पंख सहित था, देखने से साफ पता चल रहा था कि ये प्राकृतिक हैं पर प्रकृति ऐसी चीजों का निर्माण नही करती, फिर कौन हैं ये?

“ क्या हज़ार साल पहले ये इतने उन्नत थे? इन्होंने अपने प्रकृति और यांत्रिकी से इतना असाधारण संतुलन बना कर रखा, लेकिन अब ये नई मुसीबत क्या है” - स्कन्ध पास बैठे ऊंघते हुये जयन्त से पूछा, सब बड़ी दिलचस्पी से देख रहे थे, कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी रोमांच और दृष्टिकोण भी बदलने वाला था।”

“ये क्या है सर!” - कैप्टन किशोर ने पूछा।

“हमने बहुत कोशिश की है कैप्टन! हमारी संस्था जी जान से इस अनजान मुसीबत की पहचान करने में लगी है, पर ये हमारे ग्रह पर हमला करने वाले अन्य जीवों से अलग लगते हैं।” - उसने कहा

“ हमने पहले भी कई मुसीबतों का सामना कर अपने घर से भगाया है सर, इस बार भी हम इनको नही छोड़ेंगे।” - अनद विश्वासपूर्वक बोला।

“ठीक है अनद! तुम्हारा दल तैयार है, तुम भी तैयार हो जाओ, और अगले आर्डर का इंतज़ार करो”- उस व्यक्ति ने कहा।

थोड़ी देर बाद अनद तैयार होकर निकला, उसके हाथ मे एक फरसा था, जिसे सामान्य दो लोग भी नही उठा सकते और योद्धाओं के समान वेशभूषा बनी हुई था, कमर, पैर और बांहों पर विभिन्न प्रकार के हथियार बंधे थे, उनका विशेष सूट जो अंतरिक्ष मे युद्ध करने के लिए बनाया गया था, पहनकर पूरी तरह तैयार था।

“आखिर ये हर खतरनाक मिशन पर आपको ही क्यों भेजते हैं चीफ”- अनद का एक सहयोगी बोला।

“क्योंकि ‘स्वेरम’ सर को मुझपर विश्वास है, लेकिन अगर तुम्हे नही जाना हो तो मिशन से वापिस जा सकते हो कनेक।”- अनद ने उस व्यक्ति से कहा।

“हम कभी अपना कदम पीछे नही खीचते मेरे दोस्त, कभी पीछे जाना सीखा ही नही।” - उस व्यक्ति ‘कनेक’ ने कहा।

“मेरा भाई, बिल्कुल नही बदला। हेहेहे…..” हंसते हुए अनद उसके गले लग जाता है। “बहुत दिनों बाद हम दोनों को साथ में एक ही मिशन पर जाने का मौका मिला है।”

“ दिनों…. सालो कहो, आखिरी बार तब साथ थे जब अंतरिक्ष के खूंखार हत्यारे को पकड़ना था, फिर अलग अलग मिशन में व्यस्त, परिवार के लिए भी समय नही मिलता, है न…”- कनेक ने भावुक होकर कहा।

कनेक एक गुलाबी प्रेवलीन प्राणी था, पर उसकी अनद से बहुत जमती थी, दोनो इसी संस्था के द्वारा मिले थे, पहले दोनों में एक दूसरे की ज्यादा समझ नही थी पर अब दोनों बिन कहे भी एक दूसरे दोस्त की सारी बातें समझ सकते थे।

थोड़ी देर बाद स्वेरम ( जो इस संस्था के मालिक थे।) ने मिशन पर जाने का आदेश दिया, चूंकि ये खतरा बाहरी था इसलिए स्वेरम  स्वयं ही मिशन की देख रेख कर रहे थे।

सभी सैनिक जोश से भरे हुए थे, किसी के चेहरे पर भय की कोई शिकन तक न थी, सब लड़ने को तैयार थे, एक योद्धा की तरह..।

दो बड़े बड़े युद्धयान तैयार थे जिनमें सारे सैनिक आसानी से आ सकते थे, सैनिको के बैठते ही यान अपने आप ही उस अनजान खतरे की ओर बढ़ चला, जिससे इन्हें निबटना था।

थोड़ी ही देर में वो अंतरिक्ष मे थे, घुप्प काला अंतरिक्ष, अभी सूर्य के होने से लाल प्रकाश से प्रकाशित था, वे सब तो जैसे इनका इंतज़ार कर रहे थे, आते ही झपट पड़े, यान की बाहरी भाग को नोचने खरोचने लगे, पर वह कोई साधारण यान नही था, जो भी बाहरी जीव, जिसका परिचय उसमे नही था उसको छूता था, वह उसे बहुत दर्दनाक मौत देता था, जिसे देखकर बड़े से बड़े योद्धा की भी धड़कने पसली तोड़ बाहर आने को तैयार हो जाती थी।

अब अनद और उसके साथी बाहर निकले, सामने उन शैतानो की फौज खड़ी थी, अंतरिक्ष मे लड़ना किसी ठोस धरातल पर लड़ने जितना आसान नही था पर अब तो इनकी आदत हो गयी थी कही भी लड़ने की। अपने पास रखे विशेष हथियारों से गोलियों जैसा कुछ चलाने लगे, जिनमे कोई खतरनाक जहर था, एक ही गोली एक शैतान को गला देने के लिए काफी थी, इस गोली का ऐसे निर्माण किया गया था कि अगर गलती से किसी प्रवलीन को लगा भी तो उसे कुछ नही होगा, लेकिन बाहरी जीवो के लिए यह जहर से भी खतरनाक था।

अनद अपना विशेष हथियार फरसा लेकर आगे बढ़ा, सामने आने वाले जीवों को ऐसे काट रहा था जैसे वो कोई गाजर मूली हो, पर थोड़ी देर बाद उसे समझ आने लगा कि मुसीबत उतनी ही नही है जितनी बताई गई है, मुसीबत का कोई अंदाज़ा नही है।उसने कनेक को सावधान करना चाहा पर उसका इयरपीस कही खो गया था, इसी विचार में वो थोड़ा सा अपने ध्यान से भटक गया जो उसे बहुत महंगा पडा।  उन पंख वाले विचित्र प्राणियों ने, उसे चारो तरफ से घेर लिया था, उसका फरसा उससे थोड़ी दूर अंतरिक्ष मे तैर रहा था।

अब जाकर पता चला अनद चीज क्या था, उसने खाली हाथ ही उनसे भिड़ने को सोची, पर उनके क्रूर पंजे का एक भी वार अगर उसे छू जाता तो उसे कोई नही बचा  सकता था ।  एक पंखवाले जीव ने उसपर हमला किया, अनद ने अपने दोनों बांहों से छुरा निकाला और उसके वार को रोककर, लंबे नुकीले छुरे को उसकी गर्दन में घुसा दिया दूसरे ने उसकी ओर हाथ बढ़ाना चाहा पर उससे पहले अनद उसका हाथ कंधे से अलग कर चुका था,सारे सैनिक लड़ने में बहुत व्यस्त थे। ये प्राणी अनगिनत थे पर देखे सिर्फ दो चार ही गए थे इसका मतलब ये तो तय था कि कोई इन्हें नियंत्रित कर रहा था।

इस मुसीबत से छूटते ही अनद आगे बढ़ा, अपना फरसा लिया पर ये प्राणी किसी का पीछा नही छोड़ रहे थे। अनद अपना फरसा जोर से घुमाकर फेंक दिया जो कईयों के सर काटते हुए वापस उसके हाथ मे पहुच गया।

अभी अनद किसी और से लड़ने में व्यस्त था कि उसके पीछे और दोनों बगल से उन प्राणियों ने हमला कर दिया, अनद ने ध्यान तो दिया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, पर अनद ने खुद को देखा वो सही सलामत था और उसके चारों तरफ के पंखवाले सैनिक मारे गए थे, तभी वहां कनेक आया और बोला “ज्यादा मत सोचो ये मेरी रानी का कमाल है” अपने हाथ मे पकड़ी हुई बंदूक जैसे हथियार को दिखाते हुए बोला।

अब तक बहुत सारे पंखधारी जीव मारे जा चुके थे  और बाकी बचे खुचे  वापस  भागने लगे थे। कनेक और अनद कुछ दूर तक उनका पीछा करते रहे पर काफ़ी दूर  आ जाने पर वापस लौटने की सोच ही रहे थे  कि वहां वो आया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नही की थी, एक ऐसा खूंखार जीव जिसे सब कहते थे - “अंतरिक्ष हत्यारा!”

उसे देखकर कनेक और अनद बुरी तरह चौंक गए, क्योंकि उन्होंने इसे मार डाला था, अब मरने के बाद फिर कोई कैसे जिंदा हो सकता है…?

“ये सब तुमने किया…?” - कनेक चिल्लाया।

“ये तो बस शुरुआत है, तुम्हारे विनाश की.. हाहाहा… अब मेरा बदला पूरा होगा।”- जोरदार अट्टाहस किया अंतरिक्ष हत्यारे ने …..

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क्रमशः


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3 Comments

Niraj Pandey

09-Oct-2021 12:12 AM

बहुत ही बेहतरीन

Reply

Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 05:12 PM

बहुत सुंदर

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Shalini Sharma

01-Oct-2021 08:05 PM

Nice

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